राजभाषा की संवैधानिक स्थिति- यह निम्न प्रकार से है-
(1) अनुच्छेद 343 में 'संघ की राजभाषा' का उल्लेख है।
(2) अनुच्छेद 344 में 'राजभाषा के लिये आयोग और संसद की समिति' का उल्लेख है।
(3) अनुच्छेद 345, 346, 347 में 'प्रादेशिक भाषायें अर्थात् राज्य की राजभाषायें' का उल्लेख है।
( 4) अनुच्छेद 348 में 'उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में तथा अधिनियमों, विधायकों आदि की भाषा' का उल्लेख है।
(5) अनुच्छेद 349 में 'भाषा संबंधी कुछ विधियों को अधिनियमित करने के लिये विशेष प्रक्रिया' का उल्लेख है।
(6) अनुच्छेद 350 में 'व्यथा के निवारण के लिये प्रयुक्त भाषा प्राथमिकता पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधायें तथा भाषाई अल्पसंख्यक के लिये विशेष
अधिकारी।
(7) अनुच्छेद 3.51 में हिन्दी भाषा के विकास के लिये निदेश' आदि का उल्लेख है।
राजभाषा अधिनियम 1976- यह निम्न प्रकार है-
(1 ) संविधान के अनुच्छेद 120- इसके अनुसार संसद में हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में कार्य किया जा सकेगा। यदि कोई संसद सदस्य हिन्दी अथवा अंग्रेजी में अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकता तो लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति की अनुमति से अपनी मातृभाषा में अपने विचार व्यक्त कर सकता है।
(2) अनुच्छेद 21 (0- विभिन्न राज्यों के विधानमंडल हिन्दी अथवा अंग्रेजी में कार्य करेंगे। यथास्थिति लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति सदस्य को उसकी मातृभाषा में विचार व्यक्त करने की अनुमति दे सकता है।
(3) अनुच्छेद 313-संघ की राजभाषा हिन्दी, लिपि देवनागरी तथा अंक भारतीय अंकों को अन्तर्राष्ट्रीय रूप वाले होंगे। सरकारी कामकाज में अंग्रेजी का प्रयोग 15 वर्षों की अवधि तक किया जाता रहेगा, परन्तु राष्ट्रपति इस अवधि के दौरान शासकीय प्रयोजनों में अंगेजी के साथ हिन्दी भाषा का प्रयोग अधिकृत कर सकेगा। 15 वर्ष की अवधि के पश्चात्
विधि द्वारा अंग्रेजी भाषा अंकों के देवनागरी रूप में प्रयोग को उपबंधित कर सकती है।
(4) अनुच्छेद 314- इसके अनुसार संविधान लागू होने के पाँच एवं दस वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति आदेश द्वारा राजभाषा आयोग का गठन करेंगे। यह आयोग हिन्दी के उत्तरोत्तर प्रयोग आदि की सिफारिश करेगा संसदीय राजभाषा समिति का गठन किया जायेगा। इस समिति में लोकसभा के बीस सदस्य और राज्यसभा के दस सदस्य होंगे यह समिति राजभाषा आयोग की सिफारिशों के बारे में राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट देगी।
(5) अनुच्छेद 315- किसी राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा इस राज्य की किसी एक अथवा अन्य भाषाओं को अपनी राजभाषा के रूप में स्वीकार कर सकता है।
(6) अनुच्छेद 346- किसी एक या दूसरे राज्य और संघ के बीच में संचार की भाषा राजभाषा होगी।
(7) अनुच्छेद 347- किसी राज्य की जनसंख्या का पर्याप्त भाग यह चाहता है कि उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को शासकीय मान्यता दी जाये तो राष्ट्रपति वैसा करने के लिये संबंधित राज्य को आदेश दे सकते हैं।
(৪) अनुच्छेद 348- जब तक संसद विधि द्वारा उपवंध न करे तब तक उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय की सभी कार्यवाहियाँ अंग्रेजी भाषा में होंगी। संसद एवं राज्यों के विधान-मंडलों में पारित विधेयक राष्ट्रपति एवं राज्यपालों द्वारा जारी सभी अध्यादेश,
आदेश विनिमय, नियम आदि सबके प्राधिकृत पाठ भी अंग्रेजी भाषा में ही माना जायेगा ।
(9) अनुच्छेद 349- संविधान लागू होने के 15 वर्षों की अवधि तक अंग्रेजी के अलावा किसी भी दूसरी भाषा का प्राधिकृत पाठ नहीं माना जायेगा किसी अन्य भाषा के प्राधिकृत पाठ हेतु भाषा आयोग तथा सिफारिशों को गठित रिपोर्ट पर विचार करने के पश्चातु राष्ट्रपति अपनी स्वीकृति प्रदान कर सकता है।
(10) अनुच्छेद 350- शिकायत निवारण के लिये कोई भी व्यक्ति किसी भी अधिकारी या प्राधिकारी को संघ अथवा राज्य में प्रयुक्त किसी भी भाषा में अपना अभिवेदन दे सकता है।
( 11) अनुच्छेद 351- इसके अन्तर्गत हिन्दी भाषा की प्रसार वृद्धि तथा विकास करना भारत की सामासिक संस्कृति को विकसित करना, हिन्दी को भारतीय तथा अन्यं भाषाओं सो जोड़कर उसका दायरा विस्तृत करना संघ का उद्देश्य होगा।
No comments:
Post a Comment