मुहावरों की विशेषतायें-
(1) मुहावरे में शब्दों का लक्ष्यार्थ ग्रहण किया जाता है : वाच्यार्थ नही। 'तलवार की धार पर चलना' का अर्थ है.जोखिम भरा या कठिन काम करना। इसमें मुख्य अर्थ का बोध लक्षणा शक्ति से ग्रहीत है।
(2) मुहावरे की शब्द-योजना में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। किसी शब्द की जगह उसके समानार्थी शब्द का प्रयोग. करने से मुहावरा निर्जीव हो जाता है। 'दाल में काला' की जगह 'दाल में श्याम' या 'दाल में अश्वेत' का प्रयोग नहीं हो सकता। पर्यायवाची रखने से मुहावरे की संवेदना ही नष्ट हो जाती है तथा अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है।
(3) मुहावरे अर्थ द्योतन में रूढ़ हो जाते हैं। नये मुहावरे की रचना सहजतः नहीं हो सकती। मुहावरा-निर्माण भाषा की सतत् विकसित परंपरागत निधि है ।
(4) मुहावरों का प्रयोग दैव वाक्य में किया जाता है। वाक्य में प्रयुक्त होने पर मुहावरा अपना अर्थ निष्पन्न होने पर ही अपने व्यंजनापरक अर्थ को नष्ट करता
(5) मुहावरे के शब्द- क्रम में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। 'नौ-दो ग्यारह होना' की जगह 'दो-नौ ग्याहर होना' का प्रयोग किंचित भी सटीक नहीं हो सकता।
(6) मुहावरे का वाक्य में प्रयोग करने पर उसका क्रियारूप लिंग, वचन, कारक आदि अनुसार
परिवर्तित हो जाता है।
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