सुबह बिस्तर छोड़ते ही आज का नागरिक एक कप चाय और समाचार-पत्र की माँग करता है। वह चाय की चुस्की लेकर शारीरिक स्फूर्ति का अनुभव करता है तथा समाचार-पत्रों के पृष्ठों पर आँखें दौड़ाकर देश-काल की घटनाओं, विचारों से वाकिफ होकर मानसिक रूप से वह अपने आपको तरोताजा अनुभव करता है। इस तरह समाचार-पत्र आज की दुनिया में एक निहायत जरूरी चीज बन गया है।
समाचार-पत्र में अँग्रेजी न्यूज (NEWS) के N,E,W,S -N for North, E for East, W for West, S for South ये चार अक्षर जुड़े हैं जो क्रमश: उत्तर, पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण के प्रतीक है, अर्थात् समाचार-पत्र वह है जिसमें चारों दिशाओं के समाचार होते हैं। समाचार-पत्र का जन्म इटली के वेनिस नगर में 13वीं शताब्दी में हुआ। इससे पूर्व लोगों में समाचार-पत्र की परिकल्पना भी नहीं थी । 17वीं सदी में धीरे-धीरे अपनी उपयोगिता के कारण समाचार-पत्र इंग्लैण्ड पहुँचा, फिर धीरे धीरे सारे संसार में फैला।
भारत में सर्वप्रथम कलकत्ता (कोलकाता) में इसका जन्म और विकास हुआ। 19 जनवरी, 1780 को 'बंगाल गजट' का 'कैलकटा जनरल एडवरटाइजर' के प्रकाशन के साथ ही भारतीय पत्रकारिता का जन्म हुआ। 1857 से पूर्व 'उदन्त मार्तण्ड', 'बंगदूत', 'प्रजामित्र' आदि हिन्दी समाचार- पत्रों का प्रकाशन हो चुका था। धीरे-धीरे वैज्ञानिक आविष्कार बढ़ते गये, मुद्रण यन्त्रों के विकास के साथ ही समाचार-पत्रों का विकास होता गया।
समाचार-पत्रों के महत्त्व का बखान जितना किया जाये उतना कम होगा। आधुनिक युग की प्रभावपूर्ण उपलब्धियों में समाचार-पत्र एक है। सामाजिक चेतना एवं समाज के उन्नयन में समाचार- पत्रों की भूमिका उल्लेखनीय है। सांस्कृतिक चेतना जगाने, छात्रों के सामान्य ज्ञान को बढ़ाने में भी समाचार-पत्र उल्लेखनीय भूमिका अदा करते हैं। राजनीतिज्ञों के लिए, राजनीतिक प्रौढ़ता बढ़ाने के लिए एवं लोगों में साहित्यिक चेतना जगाने की दृष्टि से भी समाचार पत्र महत्त्वपूर्ण हैं। व्यापारियों के लिए तो यह आवश्यक चीज बन गया है। यह युग विज्ञापन का युग है, प्रचार का युग है और समाचार-पत्र प्रचार का सरल एवं सस्ता माध्यम है। वैयक्तिक दृष्टि से भी विज्ञापनों का कम महत्त्व नहीं है। नौकरी का विज्ञापन, वर-वधु विज्ञापन,
शुभकामनाएँ, आभार प्रदर्शन, निमन्त्रण आदि का काम समाचार- पत्र करता है।समाचार-पत्र तो प्रजातन्त्र की रीढ़ कहे जाते हैं। जनमत बनाने का काम यही करते हैं।
वैचारिक स्वतन्त्रता को प्रश्रय समाचार - पत्र ही देते हैं। इस तरह समाचार-पत्र आज के संसार में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुके है। अच्छे समाचार-पत्रों के गुण-अच्छे समाचार-पत्र निष्पक्ष रहते हैं तथा स्वस्थ पत्रकारिता पर आधारित होते हैं। वे जनता एवं सरकार को सही दिशा और सलाह देते हैं। वे किसी के हाथ बिके नहीं होते। वे समाज हित और राष्ट्र हित को ध्यान में रखकर ही समाचार छापते हैं। वे पीत पत्रकारिता
से बचते हैं। वे चरित्रहनन वाली पत्रकारिता से बचते हैं।
उपसंहार - समाचार-पत्र मात्र घटनाओ का विवरण नहीं है, समीक्षण और चिन्तन भी है। वे लेकमत को प्रभावित करते हैं। अतएव समाचार-पत्रों को हमेशा लोकहित की भावना से काम करना चाहिये। विश्वसनीय समाचार देने चाहिये तथा उत्तेजक समाचार से बचना चाहिये। समाचार-पत्रों को ,सदेव देश-हित एवं लोक-हित की भावना से काम करना चाहिये।
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