प्रस्तावना-आज विज्ञान अपनी उन्नति के शिखर पर है। विज्ञान के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हुए हैं उन सबमें परमाणु शक्ति का विशेष महत्त्व है। परमाणु शक्ति दो रूपों वाली है। इसका एक रूप जनजीवन के भयंकर संहार में लग सकता है। दूसरा रूप उनका शांतिमय उपयोग है जिसके द्वारा विश्व मानव का जीवन कल्याणमय बन सकता है।
भारत में परमाणु परीक्षण का विकास- 18 मई, 1974 का वर्ष भारत की वैज्ञानिक प्रगति के इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठ माना जाएगा। यह वह पावन तिथि है जिसकी कल्पना डॉ. होमी जहाँगीर भाभा ने की थी, जिसके लिए प्रयंत्नशील डॉ. साराभाई हुए, जिनका क्रियान्वयन डॉ. सेठना के तत्वावधान में हुआ। 18 मई, 1974 को भारत ने शांति कार्यों के लिए भूमिगत अणु विस्फोट करके सारे संसार के हृदय में विस्फोट कर दिया। इसके पश्चात् ।1 एवं 13 मई, 1998 को पाँच और परमाणु परीक्षण किए गए, जिससे भारत विश्व के परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की पंक्ति में शामिल हो गया। सारा संसार भारत की इस वैज्ञानिक उपलब्धि से चकित रह गया है।
परमाणु शक्ति का दुष्परिणाम-विज्ञान की उन्नति के साथ-साथ विनाश की भयंकरता भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। आज विश्व में यदि तृतीय युद्ध होता है तो वह परम्परागत अस्त्र शस्त्रो तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि चलित शस्त्रों का प्रयोग होगा और जनजीवन का भयंकर विनाश होगा। में द्वितीय महायुद्ध जापान के युद्ध का अंत एक छोटे एटम बम से हुआ। आज तो उसकी तुलना में बहुत विशाल एवं भयंकर परमाणु वमों से भरे हवाई जहाज चक्कर काटते रहते हैं। परमाणु शक्ति से चलित प्रक्षेपास्त्रों के अङ्डे निरंतर आक्रमण के लिये सजग रहते हैं। इस प्रकार परमाणु शक्ति का युद्ध के लिये उपयोग करने से भयंकर विनाश सम्भव है जिसकी कल्पना करना सम्भव नहीं है।
लाभ-हाइड्रोजन वम और कोबाल्ट बमों के रोमांचकारी परिणामों से भयभीत विश्व-मानव का विवेक आज परमाणु शक्ति के शांतिमय उपयोग की बात सोच रहा है। इस शक्ति का उपयोग मानव कल्याण के लिये होने पर विश्व का नक्शा ही बदल जाएगा। यह असीम शक्ति है। इसके द्वारा मानव बहुत उन्नति कर सकता है। परमाणु शक्ति का जीवन के विविध क्षेत्रों में शांतिमय उपयोग सम्भव है। आज संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस निष्कर्ष पर पहुँचा है कि परमाणु शक्ति के शांतिमय उपयोग से मानव का कल्याण होगा और उसको समृद्धि प्राप्त होगी। अणु-परमाणु शक्ति महान् शक्ति है। परमाणु शक्ति के आँस भर ईंधन से 15 लाख टन कोयले की शक्ति प्राप्त की जा सकती है।
परमाणु शक्ति के विकास से निम्नलिखित लाभ हैं-
(i) वैज्ञानिकों का मत है कि यदि इसी रफ्तार से मानव प्राकृतिक ईंधन का प्रयोग करता रहा तो इन स्रोतो का कुछ समय वाद अंत आ जाएगा। ऐसी स्थिति में परमाणु शक्ति के द्वारा मानव, इंधन की कमी पूरी करने में समर्थ होगा।
(i1) परमाणु शक्ति से कम खर्च में सस्ती विद्युत् तैयार की जा रही है।
(iii) इस शक्ति के द्वारा कम खर्च में पानी के जहाज एवं पनडुब्बियाँ चलाई जा रही हैं। फ्रांस, रूस और अमेरिका इस क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं। भविष्य में वायुयान, मोटरगाड़ियाँ और रेलें भी परमाणु शक्ति से चला करेंगी।
(iv) परमाणु शक्ति का चिकित्सा के क्षेत्र में भी बड़ा उपयोग है। घातक रोगों के उपचार के लिए परमाणु शक्ति अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुई है। परमाणु ऊर्जा से प्राप्त विभिन्न प्रकार के रेडियो आइसोटोपों से शरीर के आन्तरिक विकारों का ज्ञान हो जाता है। रेडियो आइसोटोपों द्वारा ही कैंसर जैसे भयंकर रोग की चिकित्सा हो सकती है। रेडियो कैल्सियम द्वारा हड्डी की बढ़ोतरी की जानकारी हो जाती है।
(v) परमाणु शक्ति किसानों और पशुपालकों की भी सहायता करती है। रेडियो कोबाल्ट के टुकड़ों को खेत में गाड़ देने पर बहुत उत्तम और अधिक मात्रा में खाद्यान्न पैदा होता है। फसलों को नष्ट करने वाले कीटाणुओं का ज्ञान भी रेड़ियो आइसोटोपों द्वारा होता है। यदि शाक-सब्जी, अन्न, फल, दूध और मांस आदि पदार्थों पर कुछ क्षणों के लिये रेडियो आइसोटोप सक्रिय छोड़ दिये जाएँ तो वे कोटाणुरहित हो जायेंगी और बहुत समय तक खराब नहीं होंगी।
(vi) कोबाल्ट से बने छोटे-छोटे एक्स-रे यंत्रों की सहायता से प्राचीन मूर्तियों की जाँच- पड़ताल की जा सकती है। उनका रचनाकाल जाना जा सकता है।
(vii) परमाणु ऊर्जा से पॉली एथीलीन (पॉलीथीन) नामक नया प्लास्टिक भी बनाया गया है। अन्य रासायनिक पदार्थों के निर्माण में भी यह सहायक सिद्ध हुआ है।
(viii) परमाणु ऊर्जा के द्वारा साइबेरिया के रेगिस्तान अब उपजाऊ मेदान बन चुके है । परमाणु शक्ति से बड़े-बड़े पहाड़ों को काटकर आवागमन के मार्ग बनाए गए हैं।
हानि इस प्रकार हम देखते हैं कि विश्व के अनेक देशों में परमाणु शक्ति का विनियोग मानव कल्याण के कार्यों में हो रहा है। अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, रूस और भारत आदि अनेक देशों में परमाणु शक्ति के मानव हित में शांतिमय उपयोग किए जा रहे हैं। गत वर्षों में अणुबमों और उद्जन बमों के जो परीक्षण हुए हैं उनसे यह बाब्र स्पष्ट हो गई कि यदि अब कोई विश्व युद्ध हुआ तो समस्त संसार खत्म हो जाएगा। अणुबम युद्ध दोनों पक्षों का ऐसा विनाश कर देगा कि विजेता और विजित में कोई अन्तर नहीं रहेगा। यह भी सम्भव है कि बड़े परमाणु में युद्ध अणु एवं हाइड्रोजन बमों के विस्फोट के फलस्वरूप समस्त मानव जाति ही नष्ट हो जाए।
रेडियो सक्रियता का प्रभाव सभी जीवित प्राणियों पर अत्यन्त घातक होता है।
उपसंहार - परमाणु शक्ति अपने आपमें कोई संहारक शक्ति नहीं है। इसके शांतिमय उपयोग से मानव कल्याण होगा। अणुशक्ति से परिचालित राकेटों के द्वारा मनुष्य चन्द्रमा तथा पृथ्वी से दूर अन्य ग्रहों तक पहुँच सका है। यदि इसका रचनात्मक कार्यों में उपयोग किया जाये तो यह मानव जाति के लिये वरदान सिद्ध होगा।
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